रक्षा बंधन 2022 कब है, और क्यों मनाया जाता है, इतिहास, कहानी, रक्षाबंधन कैसे बनाया जाता है (Raksha Bandhan kab aur Kyu Manaya Jata hai in Hindi)

रक्षाबंधन कब, क्यों मनाया जाता है, कैसे मनाये, इतिहास, कहानियां | Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata hai in Hindi

रक्षाबंधन का निबंध

अनुक्रम

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और पांचांग कब है?

राखी बांधने का मुहूर्त कितना बजे है?

शुभ समय: – 11 अगस्त 2022, गुरुवार को सुबह 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 19 मिनट.

इस वर्ष रक्षा बंधन के त्योहार पर शोभन योग बन रहा है और इस वर्ष राखी बांधने के लिए 11 घंटे 30 मिनट का मुहूर्त है

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन की तिथि- 11 अगस्त 2022, गुरुवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 11 अगस्त की सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 12 अगस्त सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक
शुभ समय – 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
अमृत काल – शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक

रक्षा बंधन भद्रा मुख – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक
रक्षा बंधन भद्रा अंत समय – रात 08 बजकर 51 मिनट पर
रक्षा बंधन भद्रा पूंछ – 11 अगस्त को शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
राहुकाल-11 अगस्त दोपहर 2 बजकर 8 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक

इस तिथि पर भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्राकाल और राहुकाल में राखी
नहीं बांधी जाती है क्योंकि इन काल में शुभ कार्य वर्जित है। इस साल भद्रा का साया राखी पर नहीं है

रक्षा बंधन क्या है (What is Raksha Bandhan in Hindi)

भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं

यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह व सम्मान की डोर में बांधता है।

इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं।

रक्षा बंधन

रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है।

राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।

रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है।

राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है।

कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड होती है।

घर मे मेहमानों का आना जाना रहता है। रक्षा बंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है।

राखी बांधने की पूजा विधि

रक्षाबंधन-thali
Raksha Bandhan
  • सबसे पहले राखी की थाली को अच्छे से सजाएं।
  • इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें।
  • इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें।
  • राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें।
  • फिर भाई को मिठाई खिलाएं।

रक्षासूत्र या राखी कैसी होनी चाहिए?

  • रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए।
  • लाल पीला और सफेद।
  • अन्यथा लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए।
  • रक्षासूत्र में चंदन लगा हो तो बेहद शुभ होगा।
  • कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धा पूर्वक बांध सकते हैं।

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ?

ये प्रश्न बहुत ही मत्वपूर्ण हैं की रक्षा बंधन हम क्यूँ मनाते हैं हममें से बहुतों के मन में अवश्य आता होगा

तो इसका जवाब यह है की राखी का त्यौहार असल में इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपने बहन के प्रति जो कर्तव्य होता है. वहीँ इसे केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं.

इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है. वही वो भगवान से ये मांगती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे. वही भाई भी अपनी बहन को बदले में कोई प्यारा सा तौफा प्रदान देता है और ये साथ ही प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा.

साथ में वो भी भगवान से अपने बहन ही लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करता है. वही इस त्यौहार का पालन कोई भी कर सकता है फिर चाहे वो सगे भाई बहन हो या न हो. अब शायद आपको समझ में आ ही गया होगा की रक्षा बंधन क्यूँ मनाया जाता है.

रक्षा बंधन का इतिहास (History of Raksha Bandhan in Hindi)

1. माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी

रक्षा बंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है. वामनावतार नामक पौराणिक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है. कथा इस प्रकार है- राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्‍‌न किया, तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की. विष्णु जी वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए.

रक्षा बंधन का इतिहास
माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी

गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी. वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया. उसने अपनी भक्ति के बल पर विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया.

लक्ष्मी जी इससे चिंतित हो गई. नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बाधकर उसे अपना भाई बना लिया. बदले में वे विष्णु जी को अपने साथ ले आई. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी.

इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्हा भी कहा जाता है.

2. कृष्ण और द्रौपधी की कहानी

लोगों की रक्षा करने के लिए Lord Krishna को दुष्ट राजा शिशुपाल को मारना पड़ा. इस युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण जी की तर्जनी में गहरी चोट आई थी.तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी.

भगवान श्री कृष्ण को द्रौपधी की इस कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उनके साथ एक भाई बहन का रिश्ता निभाया. वहीं उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनकी अवश्य मदद करेंगे.

यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था. कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था. रक्षा बंधन के पर्व में परस्पर एक-दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है.

3. महाभारत में राखी

महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख है. जब युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब श्री कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी.

4. इन्द्रदेव की कहानी

भविस्य पुराण के अनुसार जब असुरों के राजा बाली ने देवताओं के ऊपर आक्रमण किया था तब देवताओं के राजा इंद्र को काफी छती पहुंची थी.

इस अवस्था को देखकर इंद्र की पत्नी सची से रहा नहीं गया और वो विष्णु जी के करीब गयी इसका समाधान प्राप्त करने के लिए. तब प्रभु विष्णु ने एक धागा सची को प्रदान किया और कहा की वो इस धागे को जाकर अपने पति के कलाई पर बांध दें. और जब उन्होंने ऐसा किया तब इंद्र के हाथों राजा बलि की पराजय हुई.

इसलिए पुराने समय में युद्ध में जाने से पूर्व राजा और उनके सैनिकों के हाथों में उनकी पत्नी और बहनें राखी बांधा करती थी जिससे वो सकुशल घर जीत कर लौट सकें.

भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया (यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है)-

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)”

5. सम्राट Alexander और सम्राट पुरु

राखी त्यौहार के सबसे पुरानी कहानी सन 300 BC में हुई थी. उस समय जब Alexander ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था. उस समय भारत में सम्राट पुरु का काफी बोलबाला था. जहाँ Alexander ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई.

जब Alexander की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो Alexander को जान से न मार दें. वही राजा पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और Alexander पर हमला नहीं किया था.

6. संतोषी माँ से सम्बंधित कहानी

भगवान गणेश जी के दोनों पुत्र शुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान थे कि उनकी कोई बहन नहीं है। इसलिए इन दोनों भाइयों ने भगवान गणेश जी से एक बहन की मांग की। कुछ समय के बाद नारदजी ने भी गणेशजी से पुत्री के विषय में कहा। इस पर भगवान गणेश राज़ी हो गए। भगवान गणेशजी की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि, की दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ। इसके बाद माँ संतोषी के साथ शुभ लाभ रक्षा बंधन मना सके।

भारत के दुसरे धर्मों में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?

चलिए दोस्तों अब हम लोग जानगें की कैसे भारत के दुसरे धर्मों में रक्षा बंधन मनाया जाता है.

1. हिंदू धर्म मेंयह त्यौहार हिंदू धर्म में काफी हर्ष एवं उल्लाश के साथ मनाया जाता है. वहीँ राखी का त्वोहर उत्तर भारत और पश्चिम भारत में ज्यादा मनाया जाता है. इसके अलावा भी दुसरे देशों में भी इसे मनाया जाता है जैसे की नेपाल, पाकिस्तान, मॉरिशस में भी मनाया जाता है.

2 Jain धर्म में – जैन धर्म में उनके जैन पंडित भक्तों को पवित्र धागा प्रदान करते हैं.

3 Sikh धर्म में – सिख धर्म में भी इसे भाई और बहन के बीच मनाया जाता है. वहीँ इसे राखाडी या राखरी भी कहा जाता है.

भारतीय संस्कृति के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है. इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं.

भारत के दुसरे प्रान्तों में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?

गुजरात में रक्षाबंधन कैसे मानते है

गुजरात में इस पुरे महीने के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग के ऊपर पानी चढाने की परंपरा हैं. इस पवित्र मौके पर लोग रुई को पंच्कव्य में भिगोकर उसे भगवान शिव लिंग के चारों और बांध देते हैं. इस पूजा को पवित्रोपन्ना भी कहा जाता है.

उत्तरी भारत में रक्षाबंधन कैसे मानते है

उत्तरी भारत में रक्षा बंधन को कजरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व के दौरान खेत में गेहूं और दुसरे अनाज को बोया जाता है. वहीं ऐसे मौके में माता भगवती की पूजा अर्चना की जाती है. और माता से अच्छी फसल की कामना की जाती है.

दक्षिण भारत में रक्षाबंधन कैसे मानते है

दक्षिण भारत में, रक्षा बंधन को अवनी अबित्तम भी कहा जाता है. ये पर्व ब्राह्मणों के लिए ज्यादा महत्व रखता है. क्यूंकि इस दिन वो स्नान करने के बाद अपने पवित्र धागे (जनेयु) को भी बदलते हैं मन्त्रों के उच्चारण करने के साथ. इस पूजा को श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहा जाता है. सभी ब्राह्मण इस चीज़ का पालन करते हैं.

पश्चिमी घाट में रक्षाबंधन कैसे मानते है

पश्चिमी घाट की बात करें तब वहां पर राखी को एक देय माना जाता है भगवान वरुण को. जो की समुद्र के देवता है. इस दिन वरुण जी को नारियल प्रदान किये जाते हैं. इस दिन नारियल को समुद्र में फेंका जाता है. इसलिए इस राखी पूर्णिमा को नारियल पूर्णिमा भी कहा जाता है.

ग्रंथो में रक्षाबंधन

यदि आप ग्रंथो में देखेगे तो आप पाएंगे की रक्षाबंधन को “पुन्य प्रदायक” माना गया है. इसका मतलब की इस दिन अच्छे कार्य करने वालों को काफी सारा पुण्य प्राप्त होता है.

रक्षाबंधन को “विष तारक” या विष नासक भी माना जाता है. कहीं इसे “पाप नाशक” भी कहा जाता है जो की बुरे कर्मों को नाश करता है.

रक्षाबंधन का महत्व

यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें की बहन भाई के हाथों में राखी बांधकर उससे अपने रक्षा की कसम लेती है. वही भाई भी अपनी बहन की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहता हैं कर्तव्य होता है की वो किसी भी परिस्थिति में अपने बहन की रक्षा करे. सच में ऐसा पवित्र पर्व आपको दुनिया में कहीं और देखने को न मिले.

राखी का त्यौहार श्रावण के महीने में पड़ता है, इस महीने में गर्मी के बाद बारिश हो रही होती है, समुद्र भी शांत रहते है और पुर वातावरण भी काफी मनमोहक होता है.

ये महिना सभी किसानों, मछवारे और सामुद्रिक यात्रा करने वाले व्यवसायों के लिए भी खास महत्व रखता है.
रक्षाबंधन को नारियली पूर्णिमा भी कहा जाता है

भारत के सामुद्रिक तट इलाकों में. इस दिन वर्षा के देवता इंद्र और सुमद्र के देवता वरुण की पूजा की जाती है. वहीँ देवताओं को नारियल अर्पण किये जाते हैं और खुशहाली की कामना की जाती है.

इसमें नारियल को समुद्र में फेंका जाता है या कोई दुसरे पानी के जगह में. लोगों का मानना है की प्रभु श्रीराम भी माता सीता को छुड़ाने के लिए इसी दिन अपनी यात्रा प्रारंभ की थी. उन्होंने समुद्र को पत्थरों से निर्मित पुल के माध्यम से पार किया था जिसे की वानर सेना ने बनाया था. नारियल के उपरी भाग में जो तीन छोटे छोटे गड्ढे होते हैं उसे प्रभु शिवजी का माना जाता है.

मछवारे के लिए

मछवारे भी अपने मछली पकड़ने की शुरुवात इसी दिन से करते हैं क्यूंकि इस समय समुद्र शांत होता है और उन्हें पानी में जाने में कोई खतरा नहीं होता है.

किसानों के लिए

किसानों के लिए ये दिन कजरी पूर्णिमा होता है. किसान इसी दिन से ही अपने खेतों में गेहूं की बिज बोना प्रारंभ करते हैं और भगवान से अच्छी फसल की कामना करते हैं.

ब्राह्मणों के लिए

ये दिन ब्राह्मणों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है. क्यूंकि इसी दिन वो अपने जनेयु को मन्त्रों के उचार्रण के साथ बदलते हैं . वही वो इस पूर्णिमा को ऋषि तर्पण भी कहते हैं. वही विधि के ख़त्म हो जाने के बाद ये आपस में नारियल से निर्मित मिठाई का प्रसाद ग्रहण करते हैं.

रक्षा बंधन शायरी 2020

रक्षाबंधन
रक्षा बंधन

आज के इस आधुनिक युग में स्मार्टफ़ोन प्राय सभी लोगों के पास मौजूद होता हैं. साथ ही आजकल लोग एक दुसरे तक अपने भावनाओं को व्यक्त करने के लिए रक्षा बंधन शायरी 2021 का इस्तमाल करते हैं.

यदि आप भी उन्ही में से एक हैं तब जरुरु से आपको भी इस rakhi 2021 shayari एक बार जरुर देखना चाहिए.

ये लम्हा कुछ ख़ास हैं,
बहना के हाथों में भाई का हाथ हैं,
ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ ख़ास हैं
तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना,
तेरा भाई जीवन भर तेरे साथ हैं ….!!!

बहनों को भाइयों का साथ मुबारक हो
भाइयों की कलाइयों को बहनों का प्यार मुबारक हो
रहे ये सुख हमेशा आपकी जिन्दगीं में
आप सबको राखी का पावन त्यौहार मुबारक हो

बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता,
वो चाहे दूर भी हो तो गम नहीं होता,
अक्सर रिश्ते दूरियों से फीके पड़ जाते है,
पर भाई-बहन का प्यार कभी कम नहीं होता।

कच्चे धागों से बनी डोर है राखी,
प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी,
भाई की लम्बी उम्र की दुआ है राखी,
बहन के प्यार का धुआं है राखी।

सुख की छाँव हो या गम की तपिश,
मीठी सी तान हो या तीखी धुन,
उजियारा हो या अंधकार किनारा हो या बीच धार,
महफ़िल हो या तन्हाई,
हर हाल में तुम्हारे साथ है तुम्हारा भाई।

भैया तुम जियो हजारों साल,
मिले कामयाबी तुम्हें हर बार,
खुशियों की हो तुमपे बौंछार,
यही दुआ करते है हम बार बार।

चंदन की लकड़ी फूलों का हार,
अगस्त का महिना सावन की फुहार,
भाई की कलाई पर बहन का प्यार,
मुबारक हो आपको राखी का त्यौहार।

सावन के महीने में राखी का त्यौहार आता हैं
परिवार के लिए जो कि ढेरों खुशियाँ लाता हैं
रक्षाबन्धन के पर्व की कुछ अलग ही बात हैं
भाई-बहन के लिए पावन प्रेम की सौगात हैं

रेशम के धागों का है यह मजबूत बंधन
माथे पर चमके चावल रोली और चन्दन
प्यार से मिठाई खिलाये बहन प्यारी
देख इसे छलक उठीं आँखों भर आया मन

अगले पांच सालों के लिए रक्षाबंधन उत्सव की तारीख पता करें

अब चलिए हम जानते हैं अगले पांच वर्षों तक किस दिन रक्षा बंधन आने वाला है.

रक्षा बंधन 202122 अगस्त 2021रविवार
रक्षा बंधन 202211 अगस्त 2022गुरूवार
रक्षा बंधन 202330 अगस्त 2023बुधवार
रक्षा बंधन 202419 अगस्त 2024सोमवार
रक्षा बंधन 202508 अगस्त 2025शुक्रवार
पांच सालों के लिए रक्षाबंधन उत्सव की तारीख

रक्षा बंधन स्टेटस इन हिंदी

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तो लीजिये दोस्तों एक बहुत ही बेहतरीन Collection Raksha Bandhan quotes हमारे प्यारे भाई और बहन के लिए. इन्हें पढ़ें और शेयर करना न भूलें.

बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा हैं,
तुम खुश रहो हमेशा यही सौगात माँगा हैं !

फूलों का तारों का सबका कहना हैं,
दुनिया में सबसे अच्छे मेरे भैया हैं…!!

तोड़े से भी ना टूटे, ये ऐसा मन बंधन हैं,
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन हैं!

रंग बिरंगी बाँधी हैं राखी , फिर सूंदर सा तिलक लगाया,
गोल गोल रसगुल्ला खाकर, भैया मन ही मन मुस्कुराया !

फूलों का तारों का सबका कहना हैं,
दुनिया में सबसे अच्छे मेरे बहना हैं…!!

Raksha Bandhan Quotes In Hindi

चन्दन की डोरी फूलों का हार, आये सावन का महिना और राखी का त्यौहार, जिसमे है झलकता भाई-बहन का प्यार

कभी हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती है, लेकिन बिना कहे हमारी हर बात को समझने का हुनर भी बहन ही रखती है। हैप्पी रक्षा बंधन !!

दोस्त आते और जाते हैं, लेकिन तुम मेरे प्यारे भाई, हेमशा मौजूद होते हो!

भाई बहन की यारी सबसे प्यारी

कच्चे धागों में समाया हुआ है, ढेर सारा प्यार और अपनापन। भाई और बहन का प्यार लेकर फिर से आया है, सावन।। शुभ रक्षाबंधन !!

भाई परेशान करते हैं, इंटरफीयर करते हैं। कभी ना भूलने वाली उदासी, गुस्से और मजाक में लिप्त होते हैं। उधार लेते हैं। आपकी चीजें तोडते हैं। परेशान करते हैं। लेकिन अगर मुसीबत आती है, तब सबसे पहले वही मौजूद होते हैं। आपकी सभी लोगों से रक्षा करते हैं।

बहन कभी नहीं मांगती है, सोने-चाँदी के हार। उसे तो सिर्फ चाहिए, भाई का प्यार-दुलार।। राखी की शुभ कामनायें !!

यह लम्हा कुछ खास है, बहन के हाथों में भाई का हाथ है। ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ खास है, तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना, तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है।। रक्षाबंधन की शुभकामनायें!!

खुश किस्मत होती है, वो बहन जिसके सर पर भाई का हाथ होता है। लडना झगडना फिर प्यार से मनाना, तभी तो यह रिश्ता इतना प्यार होता है। हैप्पी रक्षाबंधन !!

बहन चाहे दूर भी हो तोह भी कोई गम नहीं होता, उसका प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता, अक्सर रिश्ते दूरियों से फीके पड़ जाते हैं, पर बहन-भाई का प्यार कभी कम नहीं होता।

रक्षाबंधन को छोड़कर ऐसा कौन सा त्यौहार जो की भाई बहन के प्यार को दर्शाता है?

भाईदूज का त्यौहार भी रक्षा बंधन की तरह ही एक दूसरा त्यौहार भी है जो की भाई बहन के प्यार को दर्शाता है. इस त्यौहार में भाई बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करने के लिए मनाया जाता है.

इसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और उनके अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करती हैं. वही भाई भी सदा अपने बहन के साथ खड़ा होने के प्रतिज्ञा करते हैं. वही दोनों एक दुसरे को मिठाई खिलाते हैं और भाई अपने बहन को तौफे देता है.

लोग अपने पारंपरिक पोषाक धारण करते हैं जिससे की पर्व की गरिमा बनी रहे. वहीँ ये केवल भाई बहन के आपसी मेल मिलाप का ही समय नहीं होता बल्कि पूरा परिवार एक दुसरे के साथ मिलकर अच्छा समय व्यतीत करने का मौका होता है.

FAQ

प्रश्न: रक्षाबंधन कौन से महीने की है?

उत्तर : अगस्त

प्रश्न: हमारे देश में राखी का क्या महत्व है?

उत्तर : रक्षाबंधन पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय महत्व है। यह भाई एवं बहन के भावनात्मक संबंधों का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है। … यह पर्व आत्मीय बंधन को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ हमारे भीतर सामाजिकता का विकास करता है।

प्रश्न: राखी बांधने का शुभ समय क्या है?

उत्तर : बहनें 11 अगस्त को सुबह 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 19 मिनट के बीच राखी बांध सकती हैं.  

प्रश्न: रक्षाबंधन किसकी याद में मनाया जाता है?

उत्तर : भगवान इंद्र को रक्षाबंधन से मिली थी जीत
भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया। भगवान विष्णु ने सची से कहा कि इसे इंद्र की कलाई में बांध देना। सची ने ऐसा ही किया, उन्होंने इंद्र की कलाई में वयल बांध दिया और सुरक्षा व सफलता की कामना की।

प्रश्न: रक्षाबंधन को बांधते वक्त किस मंत्र का जाप करें

उत्तर : रक्षाबंधन को बांधते वक्त इस मंत्र का जाप करें
येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र के शाब्दिक अर्थ में बहन रक्षासूत्र बांधते वक्त कहती है कि जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षे (राखी) तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना। इसी कामना के साथ बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है।

प्रश्न: रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?

उत्तर : बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती है.

प्रश्न: 2022 में रक्षाबंधन कब की है?

उत्तर : 11 अगस्त 2022

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