हनुमान जयंती 2023 पूजा विधि, कब है, किस दिन पड़ती है, डेट, कथा, कहानी (Hanuman Jayanti Date, Puja Vidhi in Hindi) (Kab hai, Story)
हनुमानजी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन “मंगलवार” को हुआ था। श्री राम भक्त हनुमान ने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए इस धरती पर अवतार लिया। इस कलियुग में आपदा को हराने के लिए हनुमानजी की शरण ही एकमात्र सहारा है।
हनुमानजी को महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
त्रेतायुग में हनुमानजी वानर सेना को प्रस्तुत करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए। हनुमानजी और उनकी वानर सेना सिंदूर के रंग की थी, जिनका जन्म रामायण से पहले धरती पर हुआ था। रामायण में हनुमान जी ने वानर के रूप में रावण के खिलाफ युद्ध में श्री राम का साथ दिया और श्री राम को समुद्र पार कर लंका पहुंचने में मदद की।
हनुमान जयंती 2023 में कब है (Hanuman Jayanti 2022 Date):
अप्रैल 5, 2023 को 09:21:42 से पूर्णिमा आरम्भ
अप्रैल 6, 2023 को 10:06:36 पर पूर्णिमा समाप्त
हनुमानजी पूजा विधि(Hanuman Jayanti Pooja Vidhi)
- मंदिरों में सुबह से ही चौला चरणा, रामायण का पाठ, भजन कीर्तन, प्रसाद वितरण का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. सभी मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। हनुमान जयंती के अवसर पर बहुतसे मंदिरों में भंडारे का आयोजन भी होता है। मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त, हनुमान जी दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
- केवड़ा, चमेली और अम्बर की महक हनुमान जी को बहुत प्रिय है, इसलिए जब भी हनुमान जी को अगरबत्ती लगानी हो तो इन सुगंधित वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए, हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होंगे। अंगूठे और तर्जनी के बीच अगरबत्ती पकड़कर, मूर्ति के सामने 3 बार दक्षिणावर्त ( Clockwise ) घुमाकर हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
हनुमानजी के जन्म के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं (Hanuman Jayanti Story) :
- श्री हनुमानजी महाराज केसरी और माता अंजना के पुत्र हैं। उन्हें अंजनीपुत्र और केसरीनंदन के नाम से भी जाना जाता है। एक मान्यता के अनुसार इन्द्र के राज्य में विराजमान वायुदेव ने ही माता अंजनी के गर्भ में हनुमानजी को भेजा था, इसलिए उन्हें वायुपुत्र और पवनपुत्र भी कहा जाता है।
- श्रीराम भक्त हनुमानजी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था।
- भारत के विभिन्न प्रांतों में हनुमानजी के जन्म की अलग-अलग तिथियां मानी जाती हैं। जिस दिन हनुमानजी का प्रकट हुए, उस दिन को हनुमान भक्त “हनुमान जयंती” के उत्सव के रूप में मनाते हैं। भले ही इस दिन की मान्यताये अलग हो, लेकिन हनुमानजी के प्रति सभी भक्तों की आस्था और श्रद्धा एक जैसी है।
- दक्षिण भारत में हनुमानजी का जन्म “मरघजी” मास के मूल नक्षत्र में कहा गया है।
- महाराष्ट्र में हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन ही मनाई जाती है।
- कई हिंदू पंचांगों के अनुसार हनुमानजी का जन्म आश्विन मास की चतुर्दशी की मध्यरात्रि में हुआ बताया जाता है, जबकि उनके जन्म की दूसरी मान्यता के आधार पर हनुमानजी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था। उनका जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।
हनुमान जयंती महोत्सव (Hanuman Jayanti Festival Celebration) :
- हनुमान जयंती हिंदू धर्म में एक बहुत ही धार्मिक त्योहार है। यह बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सुबह से ही हनुमान भक्त लंबी कतारों में खड़े होकर हनुमान मंदिर जाते हैं। मंदिरों में सुबह से ही भगवान की मूर्ति की पूजा शुरू हो जाती है। मंदिरों में, भक्त भगवान की मूर्ति को जल, दूध आदि चढ़ाकर भगवान को सिंदूर और तेल चढ़ाते हैं।
- हनुमानजी की प्रतिमा पर लगा सिंदूर बहुत ही पवित्र होता है, भक्त इस सिंदूर का तिलक अपने सिर पर लगाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि इस तिलक से वे भी हनुमानजी की कृपा से हनुमानजी की तरह बुद्धिमान, बलशाली, ऊर्जावान और संयमी बनेंगे।
हिन्दू भक्तों के लिए हनुमानजी का महत्त्व (Hanuman Jayanti Mahatv in hindi )
- हनुमानजी के अवतरण का भगवान् श्री राम कार्यो को करने के लिए हुआ था फिर प्रभु श्री राम व माता सीता के आशीर्वाद से धरती पर भक्तो पर आने विपदाऔं से बचने के लिए इसी धरा पर रह गये है. जहा पर भी प्रभु श्री राम का कीर्तन, रामायण जी पाठ होता हैं वहां श्री हनुमानजी अद्रश्य रूप में स्वतः ही उपस्थित रहते हैं | इस तरह का अनुभव बहुतसे भक्तो को हुआ हैं |
- हिन्दू धर्म में हनुमानजी को बुद्धि, शक्ति, भक्ति, स्फूर्ति एवं ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है |
- त्रेतायुग में उन्होंने श्री राम का सेवक और भक्त बनकर श्री राम का साथ दिया, द्वापर युग में पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध के दौरान, श्री कृष्ण अर्जुन (राम के अवतार) के सारथी में शामिल हो गए। श्री हनुमानजी सूक्ष्मरूप लेकर अर्जुन के रथ में ऊपर बैठकर अर्जुन की रक्षा की।
- रामचरितमानस के अनुसार चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके जब श्रीराम, सीता और लक्ष्मण वापस अयोध्या आए, तो एक दिन हनुमान ने माता सीता को अपनी मांग में सिंदूर लगाते देखा. उनके लिए ये कुछ अजब सी चीज थी तो उन्होंने माता सीता से सिन्दूर के बारे में पूछा. इस पर माता सीता ने कहा कि सिन्दूर लगाने से उन्हें श्रीराम का स्नेह प्राप्त होगा और उनकी आयु बढ़ेगी.माता सीता ने हनुमानजी को बताया कि सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक है. अब हनुमान तो ठहरे राम भक्त तो उन्होंने अपने पूरे शरीर को सिन्दूर से रंग लिया. हनुमान जी ने सोचा कि यदि वे सिर्फ मांग नहीं बल्कि पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लेंगे, तो उन्हें भगवान राम का खूब प्रेम प्राप्त होगा और उनके स्वामी कि उम्र भी लम्बी होगी
हनुमानजी सीखाते हैं
बल और बुद्धि के बीच हमेशा होना चाहिए सही संतुलन
लक्ष्य हासिल करने तक नहीं करना चाहिए विश्राम
हनुमानजी ने कहा कि रामजी का काम किए बगैर मैं विश्राम नहीं कर सकता। हनुमान आगे चल दिए। रुके नहीं, लक्ष्य नहीं भूले। हमें भी उनकी ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। जब तक लक्ष्य न मिल जाए, तब तक विश्राम नहीं करना चाहिए।
अगर लक्ष्य के लिए झुकना पड़े तो झुक जाइए
जहां मामला अहम का हो, वहां बल नहीं, बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। बड़े लक्ष्य को पाने के लिए अगर कहीं झुकना भी पड़े, झुक जाइए
समय रहते काम करना जरूरी
जब हनुमानजी लंका के द्वार पर पहुंचे तो उन्हें वहां लंकिनी नामक राक्षसी मिली। रात के समय, हनुमान लघु रूप में लंका में प्रवेश कर रहे थे, लेकिन लंकिनी ने उन्हें रोक दिया। समय कम था, सीधे लंकिनी को मारा। लंकिनी ने रास्ता छोड़ दिया। इससे हमें सीख मिलती है कि जब मंजिल नजदीक हो, समय कम हो और परिस्थितियां मांगती हों तो बल प्रयोग अनुचित नहीं है।
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FAQ
Q. हनुमान जयंती के दिन क्या करना चाहिए?
Ans: हनुमानजी को चोला अर्पण करने के बाद, उनकी आरती करे| उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करे | यदि समय हो तो सुन्दरकाण्ड का भी पाठ करे |
Q. हनुमान जयंती साल में कितनी बार आती है?
Ans: हर साल हनुमान जयंती दो बार मनाई जाती है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहली हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती है और साल की दूसरी हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन मनाई जाती है. इसलिए मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है.
Q. हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है
Ans: एक तिथि की हनुमान जयंती भगवान हनुमान जी के जन्मदिवस के तौर पर मनाया जाता है जबकि दूसरी तिथि की हनुमान जयंती विजय अभिनंदन समारोह के तौर पर मनाई जाती है।
Q. हनुमान जी का दूसरा नाम क्या है?
Ans: अंजनिपुत्र, महाबली, रामेष्ट, बजरंगबली ,आंजनेय और मारुति
Q. हनुमान किसके अवतार हैं?
Ans: शिव का आंशिक अवतार माना जाता है